
लेकिन राजधानी बनने के बाद जैसे-जैसे जमीनों के भाव बढ़ते गए, देहरादून अपने जिन बगीचों के लिए जाना जाता था, वह काटे जाते गए ।
बगीचों की इस कटाई में वन विभाग, उद्यान विभाग, भू माफिया, ठेकेदार सभी शामिल हैं ।
इन सब की गिरोह बंदी से यह काम हो रहा है। पछआ दून का क्षेत्र जो खासकर अपने बगीचों के लिए जाना जाता था आज भू माफिया के शिकंजे में है और एक-एक कर कर सभी बगीचे काटे जा रहे हैं ।
अभी हाल ही में आम के 170 हरे पेड़ काटने का मामला सामने आया है ।
जनाधिकार मोर्चा इस बात को मानता है कि पेड़ बचेंगे तो पर्यावरण बचेगा और पर्यावरण बचेगा तो हमारे बच्चों और आने वाले भविष्य को जल, जंगल जमीन के लाभ मिलेंगे, उन्हें देखने का मौका मिलेगा ।
जनाधिकार मोर्चा इन बगीचों को बचाने की लड़ाई का बिगुल बजा चुका है । यदि एक भी पेड़ कहीं अवैध तरीके से काटा जा रहा है तो आप हमसे संपर्क करें और हम उस मुद्दे पर तब तक आंदोलन करेंगे, जब तक कि अपराधी पर कार्यवाही ना हो जाए । साथ ही हम इसके लिए #दोषी_और_जिम्मेदार_अधिकारियों पर भी कार्यवाही सुनिश्चित करवाएंगे ।
जनाधिकार मोर्चे की टीमें पूरे देहरादून और हरिद्वार क्षेत्र में इस बात को सुनिश्चित करेंगी कि कहीं पर भी हरे पेड़ों का अवैध कटान ना हो रहा हो ।
इसके लिए संबंधित अधिकारियों से निरंतर संपर्क किया जा रहा है, उनसे चर्चा की जा रही है और जल्द ही जनाधिकार मोर्चा जमीन पर उत रकर इस मुद्दे पर कार्य प्रारंभ कर देगा ।
